Friday, June 20, 2025
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भारत के विरोध के बावजूद पाकिस्तान को क्यों मिला 1 बिलियन डॉलर? जानिए पूरा मामला

IMF Loan to Pakistan: भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव जैसी स्थिति बनी हुई है, ऐसे समय में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा पाकिस्तान को 1 अरब डॉलर का लोन दिया जाना कई सवाल खड़े करता है। भारत ने इस फैसले का खुलकर विरोध किया था और आईएमएफ को चेताया था कि पाकिस्तान इस पैसे का इस्तेमाल भारत के खिलाफ आतंक फैलाने में कर सकता है। बावजूद इसके, पाकिस्तान को यह कर्ज मिल गया — आखिर क्यों?

IMF के फैसले पर भारत का ऐतराज

भारत ने आईएमएफ बोर्ड के सामने तर्क दिया कि पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति बेहद नाजुक है और उसे दिया गया लोन आतंकवाद को पोषित करने के काम आ सकता है। भारत ने स्पष्ट कहा कि इस फंडिंग से क्षेत्रीय अस्थिरता और बढ़ेगी। लेकिन भारत के विरोध के बावजूद आईएमएफ ने पाकिस्तान को 1 अरब डॉलर का लोन रिलीज कर दिया, जो 7 अरब डॉलर के पैकेज का हिस्सा है।

चीन और सऊदी अरब ने निभाई बड़ी भूमिका

IMF में पाकिस्तान के पक्ष में चीन और सऊदी अरब जैसे देशों का समर्थन अहम रहा। इन दोनों देशों ने पहले से ही पाकिस्तान को भारी कर्ज दे रखा है और उन्हें उम्मीद है कि IMF से मिलने वाले लोन से पाकिस्तान उन्हें कुछ पैसा लौटा सकेगा।

भारत IMF का कर्जदाता और प्रभावशाली सदस्य है, जबकि पाकिस्तान लगातार कर्ज मांगने वाला देश रहा है। भारत ने 1991 के बाद IMF से कोई कर्ज नहीं लिया है, जबकि पाकिस्तान 20 बार से ज्यादा IMF से लोन ले चुका है।

भारत ने वोटिंग से दूरी क्यों बनाई?

IMF की कार्यप्रणाली में किसी प्रस्ताव पर ना कहने का प्रावधान नहीं होता। इसलिए भारत ने वोटिंग में भाग ही नहीं लिया, जो एक तरीके से विरोध ही माना गया। भारत ने लिखित आपत्ति दर्ज कराई, लेकिन वोटिंग पावर कम होने के कारण उसका असर सीमित रहा।

IMF ने क्यों दिया लोन? क्या हैं शर्तें?

पाकिस्तान को यह लोन कई सख्त शर्तों के साथ दिया गया है, जैसे:

  • बजट घाटा 5-6% तक सीमित रखना
  • कृषि और उपभोक्ता वस्तुओं पर कर वृद्धि
  • ऊर्जा सब्सिडी घटाना और बिजली दरें बढ़ाना
  • विदेशी मुद्रा भंडार में सुधार
  • कमजोर बैंकिंग संस्थानों की निगरानी

IMF का उद्देश्य क्या है?

IMF का गठन 1944 में हुआ था और इसका मुख्यालय अमेरिका के वाशिंगटन में है। इसका उद्देश्य है — आर्थिक रूप से कमजोर देशों को कर्ज देना और उनकी नीतियों में सुधार कराना। लेकिन आलोचक मानते हैं कि ये लोन कभी-कभी राजनीतिक प्रभावों के चलते दिए जाते हैं, जैसा इस मामले में दिखा।

 

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