Friday, June 20, 2025
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दिल्ली विधानसभा चुनाव: जेपी नड्डा ने केजरीवाल पर लगाया हार मानने का आरोप

नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव का प्रचार खत्म होने को है। यह चुनाव हर दल के लिए अहम है क्योंकि भाजपा 27 वर्षों से दिल्ली की सत्ता से दूर है आम आदमी पार्टी के लिए दिल्ली गंवाने का अर्थ होगा पूरा ब्रांड गंवाना। लिहाजा जनता को लुभाने के सारे दांव भी चले जा रहे हैं और मुख्य चुनाव से पहले मानसिक दबाव बनाने की भी इसी क्रम में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का कहना है कि अरविंद केजरीवाल दिल से मान चुके हैं कि वह हार गए हैं। अब दिखाने की लड़ाई लड़ रहे हैं और इसीलिए रोजाना मुद्दे को भटकाने के प्रयास में जुट गए हैं। प्रस्तुत है दैनिक जागरण के राजनीतिक संपादक आशुतोष झा और सहायक संपादक नीलू रंजन के साथ बातचीत के प्रमुख अंश…

 

27 साल से बाहर है, फिर इस बार जीत के लिए इतना आश्वस्त कैसे हैं ?पहली भाजपा की संगठनात्मक ताकत जो मतदाताओं को मतदान केंद्र तक लाती है। दूसरा लोगों ने राजग सरकार का कामकाज और आम आदमी पार्टी सरकार का नकारापन भी देखा है। बहुत समय देकर देख लिया लोगों को अब पता चल गया कि केजरीवाल के भरोसे अपना भविष्य नहीं छोड़ सकते हैं दिल्ली की जनता केंद्र सरकार के साथ मिलकर काम करने वाली डबल इंजन की सरकार की चाहती है। जनता को भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी पर भरोसा है।

लेकिन विपक्ष आरोप लगाता है कि जहां डबल इंजन की सरकार नहीं होती है वहां केंद्र सरकार सहयोग नहीं करती है।

ऐसा हमने कभी किया नहीं। हम हमेशा सहयोग करते हैं। आप तमिलनाडु केरल पश्चिम बंगाल का उदाहरण लीजिये, हमने कौन सी कमी छोड़ी है। दिल्ली की ही बात कर लीजिए कि हमने तो हमेशा सहयोग का हाथ बढ़ाया लेकिन कहीं कुशासन हो, भ्रष्टाचार हो तो हम उन्हें इसके लिए छोड़ तो नहीं सकते हैं दिल्ली में भी हमने मेट्रो के 135 नए स्टेशन और 200 किलोमीटर की नई लाइन बनाकर दी है। इस्टर्न, वेस्टर्न पेरीफेरल रोड बनाया। रैपिड रेल बनाई। हम जो कर सकते थे वह किया। वह बताएं कि सिवाय राजनीति के और क्या किया।

तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और केरल से राज्यपालों के हस्तक्षेप के बहुत सारे आरोप लगते हैं। दिल्ली में भी उपराज्यपाल को लेकर इसी तरह से आरोप लगते हैं।

राज्यपाल राष्ट्रपति का प्रतिनिधि होता है। उसे देखना होता है कि सरकार के कामकाज संविधान के प्रविधानों के अनुरूप है या नहीं। यदि ऐसा नहीं है, तो राज्यपाल की जिम्मेदारी इसे रेखांकित करना है।

दिल्ली की चुनाव की बात करें, तो क्या सचमुच में ये सुशासन के मुद्दे पर हो रहा है या फ्रीबीज पर हो रहा है।

चुनाव में सारे बहुत मुद्दे होते हैं उनमें सुशासन मुख्य है। हम फ्रीबीज नहीं देते हैं लोगों को सशक्त बनाने के लिए मदद करते हैं। हम गरीबों को स्वास्थ्य की सुविधा दे रहे हैं, जो इसका खर्च नहीं कर सकता है। उसी तरह से 10 लाख की जीवन बीमा टैक्सी ड्राइवर आटो ड्राइवर के लिए कर रहे हैं। स्वनिधि योजना रेहड़ी-पटरी वाले को सशक्त बना रहा है।

तो क्या माना जाए कि आम आदमी पार्टी द्वारा दिया जा रहा फ्रीबीज सही था।

हम निगेटिव नोट से नहीं, पोजेटिव नोट से शुरू करते हैं। जो चीजें चल रही है, उसपर जो भी कहना था कहा गया है। लेकिन लोगों को इसका लाभ मिल रहा है, तो हम इसको आगे बढ़ाएंगे। लेकिन इसके साथ ही उनका सशक्तिकरण हो इसकी हम चिंता कर रहे हैं।

भाजपा ने आम आदमी पार्टी सरकार द्वारा दी जा रही रेवडि़यों को जारी रखने के साथ ही अतिरिक्त आर्थिक मदद देने का ऐलान किया है। कांग्रेस भी इसी तरह से वायदे कर रही है, ऐसे में विकास के पैसा कहां से बचेगा।

ढंग से सरकार चलाई जाए, तो पैसे की कोई दिक्कत नहीं होगी। पिछले 10 सालों में मोदी सरकार आधारभूत संरचना का विकास भी किया है और आम लोगों का सशक्त भी बनाया है असल में काम भ्रष्टाचार के कारण रुकते हैं। हम डिलीवर कर रहे हैं। इन्होंने मोहल्ला क्लीनिक चलाया 300 करोड़ रुपये की दवाई का घोटाला, जल बोर्ड में 28 हजार करोड़ रुपये घोटाला और बस की खरीदी के साथ उसके मेनटेनेंस में घोटाला कर दिया।

सरकार को कब अहसास हुआ कि मध्यम वर्ग कहीं न कहीं नाराज है और उसके लिए कुछ करने की जरूरत है।

हम सबका साथ, सबका विकास और विश्वास को लेकर चलते हैं। पीएम मोदी के शासन में आने के समय 2.5 लाख रुपये तक सालाना आय कर मुक्त थी। उसके सात लाख तक करने का काम भाजपा की सरकार ने किया। सबकुछ प्राथमिकता भी होती है। उसके अनुसार इस बार के बजट में 12 लाख रुपये तक की सालाना आय को करमुक्त किया गया। यह कोई पहली बार नहीं हुआ। हमारी सरकार लगातार इसका विस्तार कर रही थी।

दिल्ली में इसका लाभ आपको मिलेगा ?

हमने लाभ के दृष्टिकोण से नहीं किया है। बजट की तारीख तो पहले से तय थी, दिल्ली चुनाव की घोषणा से पहले से। काम भी काफी पहले से शुरू हो जाता है। सरकार सबको साथ में लेकर चलने में भरोसा करती है और उसी के अनुरूप इस बार यह किया गया।

केजरीवाल ने आरोप लगाया है कि भाजपा आप के कार्यकर्ताओं को प्रचार करने से रोक रही है और झुग्गी वालों को तीन हजार रूपये देकर वोट नहीं डालने के लिए कह रही है।

ये अपने-आप में बता रहा है कि केजरीवाल हार मान चुके हैं। अंपायर को शिकायत वही करता है, जो खेल में हारने लगता है। ये केजरीवाल को समझ में आ गया है, वे लोग, जिसको वो अपना वोटबैंक मानता थे, वह उससे नाराज है और वो भाजपा के पक्ष में आया है।

लेकिन ये भी सच है कि दिल्ली में भाजपा के स्थानीय लोकप्रिय नेतृत्व नहीं है, जिसके कारण भाजपा 27 साल से सत्ता से दूर है।

सिर्फ एक कारण नहीं है। हम बहुत सारे राज्यों में बगैर नेतृत्व के भी सरकार में आते हैं। वोट भाजपा को, कमल को, मोदी जी को मिलता है। मोदी जी के नेतृत्व में ही दिल्ली का चुनाव लड़ा जा रहा है। स्थानीय नेतृत्व के अभाव का कोई मुद्दा नहीं है।

आप चार साल से भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं। क्या पार्टी में राज्यों में एक लीडरशीप खड़ा करने पर विचार हुआ इसके लिए हमेशा प्रयास जारी रहता है। कुछ राज्यों में जल्दी हो जाता है, कुछ राज्यों में देर लगती है। -बजट में बिहार को लेकर कई घोषणाएं हुई हैं। इसे इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव से भी जोड़कर देखा जा रहा है।

आप बिहार में सहयोगियों के साथ कितने सहज हैं ? बहुत ज्यादा सहज हैं। एकजुट राजग काम कर रहा है। पूरी मजबूती के साथ हम सरकार चला रहे हैं। बिहार ही नहीं, आंध्र प्रदेश व महाराष्ट्र में भी राजग बहुत ही सहज तरीके से काम कर रही है।

महबूबा मुफ्ती ने चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार को पत्र लिखकर वक्फ संशोधनों को रोकने के लिए समर्थन मांगा है। आप संसद में इस विधेयक को पास कराने को लेकर कितने आश्वस्त हैं ?

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