इसमें कहा गया है कि अगर सामग्री में कुछ ऐसा है जो बच्चों के लिए सही नहीं है, तो ऐसी सामग्री तक पहुंच को प्रतिबंधित करने के लिए इसे ‘ए’ रेटेड सामग्री टैग करना चाहिए। वहीं, इस सिस्टम को लागू करने और उचित सावधानी बरतना आवश्यक है।

सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी फटकार

बता दें कि केंद्र का ये परामर्श सुप्रीम कोर्ट द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामग्री पर कंट्रोल का सुझाव देने के मद्देनजर भी आया है। शीर्ष अदालत ने YouTube जैसे प्लेटफॉर्म पर खुलेआम अश्लील सामग्री चलने की बात कही और कहा कि इसमें कानून की कोई रोक नहीं दिख रही है।