एक तारीख ने बदल बढ़ा दी संबंधों में दूरियां
- बांग्लादेश की राजनीति में साल 2024 की 5 अगस्त की तारीख बहुत अहम है। कट्टरपंथी ताकतों के हिंसक प्रदर्शन के बाद इसी दिन शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया और भारत चली आईं। यहीं से बांग्लादेश और भारत के बीच संबंधों में हर नए दिन के साथ दूरियां बढ़ने लगीं।
- शेख हसीना के पीएम पद से हटते ही मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार मनमाने ढंग से सत्तासीन हो गए। कट्टरपंथी ताकतों के सहारे चल रही यूनुस की अंतरिम सरकार पाकिस्तान से करीबियां बनाने में जुट गई हैं। यही कारण है कि कारोबार के रास्ते पाकिस्तान की मंशा है कि वह कूटनीतिक रूप से बांग्लादेश को अपने पक्ष में करे और भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम दे।
कारोबार करना गलत नहीं, लेकिन पाक की मंशा गलत
वरिष्ठ पत्रकार और विदेश मामलों के जानकार राशिद किदवई कहते हैं किसी भी देश का किसी भी देश के साथ कारोबार करना गलत नहीं हैं, लेकिन किस मंशा के साथ किया जा रहा है, यह महत्वपूर्ण है। पाकिस्तान की मंशा कारोबार के बहाने बांग्लादेश को भारत के विरुद्ध भड़काने की है।
बांग्लादेश और पाक में किन चीजों का कारोबार?
बांग्लादेश में पाकिस्तान का जहाज चटगांव बंदरगाह पर आकर खड़ा हो गया कराची से आया यह जहाज पनाना के झंडे वाला है जिसका नाम एमवी युआन शांग फा झान है। इसमें मार्बल ब्लॉक्स कपड़ों से जुड़ा कच्चा सामान चीनी इलेक्ट्रॉनिक आयटम डोलोमाइट व अन्य औद्योगिक सामान शामिल है।
पाक बांग्लादेश कारोबार की स्क्रिप्ट कहां तय हुई?
- इससे पहले आखिरी बार 1971 में पाक जहाज बांग्लादेश पहुंचा था। पाकिस्तान के लिए बांग्लादेश के साथ संबंध सुधारने की दिशा में तेजी से प्रगति हो रही है। बड़ी बात यह है कि यूनुस सरकारने पाक के साथ अपने संबंधों को प्रगाढ़ करने के लिए अपनी ओर से भी पहल की है। यही कारण है कि पाक से आए सामान का भौतिक निरीक्षण तक बंद कर दिया गया है।
- दरअसल, ताजा दौर में पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच कारोबार की बुनियाद मिस्र की राजधानी काहिरा में तय हुई। यहां मोहम्मद यूनुस और पाक पीएम शहबाज शरीफ के बीच मुलाकात में कारोबार की दशा और दिशा तय हुई।
भारत के लिए चिंताजनक बात क्यों?
- भारत की क्षेत्रीय संप्रभुता के लिए चटगांव बंदरगाह काफी अहम है। कारोबार के बहाने चटगांव में पाकिस्तान के जहाज की मौजूदगी बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में भारत की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकती है। ठीक वैसे ही, जैसे श्रीलंका का हंबनटोटा बंदरगाह, जहां चीन का जहाज आकर खड़ा होता है और अनुसंधान के नाम पर जासूसी करने की फिराक में रहता है।
- भारत का निगरानी तंत्र भी चटगांव पोर्ट पर लगातार निगरानी रख रहा है। हालांकि इस बंदरगाह पर अभी भारत विरोधी गतिविधियां होने की आशंका कम रही है, लेकिन पाक की गलत मंशा के कारण निगरानी में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है।
- साल 2004 में ही भारतीय अधिकारियों ने चीनी हथियारों से भरा एक शिपमेंट को पकड़ा था, जिसे पाकिस्तान की गुप्तचर एजेंसी आईएसआई ने भारत के पूर्वोत्तर में प्रतिबंधित किए गए उल्फा के लिए भेजने का प्रयास किया था।
भारत क्यों हो गया ज्यादा सतर्क?
दिक्कत की बात यह है कि पाक से आने वाले कार्गो की भौतिक जांच की अनिवार्यता यूनुस सरकार ने खत्म कर दी। इसका गलत फायदा पाकिस्तान उठा सकता है। यह भारत की चिंता को बढ़ाने वाला कदम है। इससे पहले पाक से आने वाले जहाजों का माल सिंगापुर, मलेशिया या श्रीलंका में उतारने के बाद वहां से बांग्लादेश लाया जाता था। तब भारत को इतनी चिंता नहीं थी।